MAA
मुक्क्दर की राहो का अब इंतज़ार नहीं होता ,
तसव्वुर मे अब तो तेरा दीदार नहीं होता !
छूट जाये यह पैर ज़ंजीरो की जकड़न से ,
माँ तेरी वांहो के प्यार का इंतज़ार नहीं होता !!
-धीरेन्द्र सिंह
तसव्वुर मे अब तो तेरा दीदार नहीं होता !
छूट जाये यह पैर ज़ंजीरो की जकड़न से ,
माँ तेरी वांहो के प्यार का इंतज़ार नहीं होता !!
-धीरेन्द्र सिंह